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सेचन
Meanings: 17; in Dictionaries: 8
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bucket
Meanings: 11; in Dictionaries: 8
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pail
Meanings: 5; in Dictionaries: 4
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watering
Meanings: 3; in Dictionaries: 3
Type: WORD | Rank: 0.5438529 | Lang: NA
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irrigation
Meanings: 16; in Dictionaries: 11
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तृप्तिकृत्
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
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असेचनक
Meanings: 3; in Dictionaries: 2
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उत्सेचन
Meanings: 5; in Dictionaries: 2
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अंबुखणें
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
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अंबुखिणें
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
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आंबुखणें
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
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सिक्त
Meanings: 17; in Dictionaries: 8
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आसेचन
Meanings: 13; in Dictionaries: 4
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प्रसेक
Meanings: 20; in Dictionaries: 3
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वैधव्यहर अश्वत्थव्रत
व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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वैधव्यहर अश्वत्थव्रत
व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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रूपक अलंकार - लक्षण १५
रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे.
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धर्मसिंधु - अथवर्ण वेदीयांचा प्रयोग
हिंदूंचे ऐहिक, धार्मिक, नैतिक अशा विषयात नियंत्रण करावे आणि त्यांना इह-परलोकी सुखाची प्राप्ती व्हावी ह्याच अत्यंत उदात्त हेतूने प्रेरित होउन श्री. काशीनाथशास्त्री उपाध्याय यांनी ’धर्मसिंधु’ हा ग्रंथ रचला आहे.
This 'Dharmasindhu' grantha was written by Pt. Kashinathashastree Upadhyay, in the year 1790-91.
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तृतीय परिच्छेद - उदकदान
निर्णयसिंधु ग्रंथामध्ये कोणत्या कर्माचा कोणता काल , याचा मुख्यत्वेकरून निर्णय केलेला आहे .
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दिग्रक्षणम्
सर्व पूजा कशा कराव्यात यासंबंधी माहिती आणि तंत्र.
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अध्याय ८६ वा - श्लोक ३६ ते ४०
श्रीकृष्णदयार्णवकृत हरिवरदा
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देश
Meanings: 118; in Dictionaries: 10
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विष्णुसंहिता - त्रयोदशः पटलः
विष्णुसंहितामध्ये प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, तर्क, समाधि आणि ध्यान हे क्रमवार आहेत.
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परिणाम अलंकार - लक्षण ४
रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे.
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चिद्बोधरामायण - सप्तम सर्ग
बालकांड निरंजन माधवांच्या कवितेतील काव्यस्फूर्ति उच्च दर्जाची असून, भाषेत रसाळपणा व प्रसाद सोज्वळता आहे.
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मन्त्रमहोदधि - प्रथम तरड्ग
` मन्त्रमहोदधि ' इस ग्रंथमें अनेक मंत्रोंका समावेश है , जो आद्य माना जाता है।
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सर्व आठवा
` सामराज ' अथवा ` साम्राज्य ' या नांवाचा एक कविवामनाचा शिष्य असून आपणास ` साम्राज्य वामन ' म्हणवितो.
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मन्त्रमहोदधि - द्वाविंश तरङ्ग
`मन्त्रमहोदधि' इस ग्रंथमें अनेक मंत्रोंका समावेश है, जो आद्य माना जाता है।
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